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Major Scam buster and Corruption crusader Sanjiv Chaturvedi sacked as Chief Vigilance Officer by Modi Govt

Postby dheerajjain » Fri Aug 22, 2014 7:22 am

Major Scam buster, Whistleblower and Corruption crusader Sanjiv Chaturvedi has been sacked as Chief Vigilance Officer of AIIMS by Modi Govt. Is this the way Modi will fight corruption? From actions of Modi Sarkaar, it is becoming clear that there is a sea difference between what PM says and what Govt actually does.

I have written this letter to Prime Minister Shri Modi through PMO website (http://pmindia.gov.in/en/interact-with-honble-pm/)

Respected Sir

I am deeply shocked by your Govt. decision to sack Sanjiv Chaturvedi who is major scam buster, Whistelblower and Corruption Crusader from post of Chief Vigilance Officer in AIIMS. Health Ministry letter says that one of your BJP MP raised objection and that is why he was removed. Is this the way your Govt. will handle corruption? I request that Sanjiv Chaturvedi be immediately restored so that right message goes to Country about your efforts in tackling corruption.
Inidan Citizen


You can also write protest letters to Prime Minister

http://timesofindia.indiatimes.com/City ... 528667.cms
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dheerajjain
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Re: Major Scam buster and Corruption crusader Sanjiv Chaturvedi sacked as Chief Vigilance Officer by Modi Govt

Postby dheerajjain » Sat Aug 23, 2014 10:34 am

Real reason for Sanjeev Chaturvedi removal is exposing corruption done by Additional Chief Secretary of BJP Govt. in Himachal Pradesh. It is clear BJP and Modi by doing this action is promoting corruption not controlling corruption.

http://www.jagran.com/delhi/new-delhi-c ... 73523.html
इधर चौधरी के खिलाफ चार्जशीट, उधर हटाए गए चतुर्वेदी
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : एम्स के सीवीओ पद से संजीव चतुर्वेदी को हटाने के पीछे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भले ही उनकी योग्यता व केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) से स्वीकृति नहीं होने का तर्क दे रहा है। लेकिन मामले में एक अहम तथ्य यह है कि आइएएस अधिकारी व हिमाचल प्रदेश सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत चौधरी के खिलाफ एम्स में भ्रष्टाचार के मामले में पिछले महीने ही विभागीय चार्जशीट हुई और इसके तुरंत बाद ही संजीव चतुर्वेदी को हटा दिया गया।

विनीत चौधरी एम्स में उप निदेशक (प्रशासनिक) थे। इस पद पर रहते हुए उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। संजीव चतुर्वेदी को हटाने के लिए भाजपा के राज्यसभा सदस्य जेपी नड्डा लगातार केंद्र सरकार पर दबाव बनाए हुए थे। खास बात यह है कि संजीव चतुर्वेदी ने जब-जब विनीत चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई की, उसके कुछ समय बाद जेपी नड्डा ने पत्र लिखे। चतुर्वेदी ने अप्रैल, 2013 में विनीत चौधरी के खिलाफ जांच शुरू की तो मई, 2013 में जेपी नड्डा ने केंद्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण मंत्रालय को पत्र लिख कर संजीव चतुर्वेदी की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए। इस साल 9 जनवरी को सीबीआइ में मुकदमा दर्ज होने पर 29 जनवरी को उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद को चिठ्ठी लिखी। जुलाई में चौधरी के खिलाफ विभागीय चार्जशीट हुई तो अगस्त में संजीव चतुर्वेदी की विदाई का फरमान स्वास्थ्य मंत्रालय से आ गया।

चार्जशीट में संजीव चतुर्वेदी ने आइएएस अधिकारी विनीत चौधरी पर सात आरोप तय किए हैं। इसमें पांच आरोप तो बेहद गंभीर हैं। विभागीय चार्जशीट होने के चलते अधिकारी की पदोन्नति आदि रुक जाती है। चार्जशीट में संजीव चतुर्वेदी ने खुलासा किया है कि एम्स विस्तार की 3750 करोड़ की योजना में जमकर अनियमितता हुई है। एक आइटीआइ पास व्यक्ति को अधीक्षण अभियंता बना दिया गया। झज्जर में एम्स के दूसरे कैंपस के लिए अस्थायी पोर्टा केबिन के निर्माण पर 10 करोड़ बेवजह खर्च किए गए।

पहला आरोप

विनीत चौधरी पर पहला आरोप अधीक्षण अभियंता बीएस आनंद को एम्स के नियमों का उल्लंघन करके नौकरी में विस्तार देना रहा। नौकरी में विस्तार के लिए विजिलेंस से स्वीकृति नहीं ली गई। एम्स के दूसरे कैंपस के नजदीक एम्स को बिना बताए बीएस आनंद व विनीत चौधरी के परिवार वालों के नाम पर जमीन खरीदी गई।

दूसरा आरोप

उप निदेशक (प्रशासनिक) रहते हुए चौधरी ने अनियमित नियुक्तियां की। इससे संस्थान को वित्तीय नुकसान हुआ।

तीसरा आरोप

चौधरी ने अपने कार्यालय के नवीनीकरण पर 19.26 लाख रुपये खर्च किए। इसमें भी अनियमितता का आरोप है।

चौथा आरोप

सरकारी गाड़ी का गलत इस्तेमाल किया गया। जून, 2010 से अगस्त, 2012 के बीच करीब दो साल तक हर रोज करीब 144 किलोमीटर सफर दिखाया गया। यहां तक कि छुट्टी या त्योहार के दिन भी गाड़ी चलने की बात कही गई।

पांचवा आरोप

विनीत चौधरी ने अपने पद का जमकर इस्तेमाल किया। एम्स में भले ही मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं लेकिन उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल करते हुए एम्स के कैंसर इंस्टीट्यूट में अपने कुत्ते का इलाज कराया। कुत्ते को रेडिएशन थेरेपी दी गई। इस मामले में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री व एम्स के अध्यक्ष को भी गुमराह किया। कुत्ते को रेडिएशन थेरेपी कराने से एम्स को भारी नुकसान हुआ। जबकि मरीजों को रेडियोथेरेपी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
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Chaturvedi:Fake Medicines sold in AIIMS, Officers dogs treated

Postby dheerajjain » Sat Aug 23, 2014 10:46 am

Sanjeev Chaturvedi says that lobbying done by corrupt bureaucrats/officers close to BJP and Congress led to his sacking

http://www.jagran.com/news/national-kej ... ?src=NN-TK

नई दिल्ली। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान [एम्स] के मुख्य सतर्कता अधिकारी [सीवीओ] पद से हटाए गए संजीव चतुर्वेदी ने शुक्रवार को एम्स प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने एम्स में नकली दवाएं बेचे जाने और भ्रष्ट अफसरों द्वारा कुत्तों का इजाज करने के लिए दबाव डाले जाने का भी आरोप लगाया।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चतुर्वेदी को हटाए जाने के बाद बवाल पैदा हो गया है। चतुर्वेदी ने अब आरोप लगाया है कि कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के संरक्षण वाली अफसरों की भ्रष्ट लॉबी ने उन्हें पद से हटाए जाने में अहम् भूमिका निभाई। उन्होंने आरोप लगाया कि एम्स में नकली दवाएं बेची जाती हैं और कांग्रेस का एक पूर्व विधायक इस गिरोह से जु़़डा है। उन्होंने कहा कि मैंने एक मेडिकल स्टोर छापा डाला था। उसके बाद ही उक्त लॉबी ने मुझे हटाने की साजिश रची।

हरियाणा कैडर के फॉरेस्ट अफसर चतुर्वेदी को जून 2016 तक के लिए एम्स में प्रतिनियुक्ति पर सीवीओ बनाया गया था। उनकी गणना भ्रष्टाचार के खिलाफ संघषर्ष करने वाले अफसरों में होती है। पद से हटाए जाने के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा है। उसमें कहा गया है कि पीएमओ, सिविल सर्विसेस बोर्ड और एम्स एक्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत उन्हें हटाया गया है।
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