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वर्जन :
बिल्डरों और फ्लैटधारकों के बीच का मामला सुलझाना हमारे बस की बात नहीं और न ही बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए हमारे पास कोई पॉलिसी है।
-प्रवीण कुमार, डीसी
सचिन हुड्डा ॥ फरीदाबाद
ग्रेटर फरीदाबाद में अपने घर में रहने का सपना जल्द पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। दरअसल, प्रशासन ने बिल्डरों व फ्लैटधारकों के मामले में अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। प्रशासन का कहना है कि बिल्डरों और फ्लैटधारकों के बीच में सरकार का कोई रोल नहीं है, इसलिए हम इस मामले में दखल नहीं दे सकते।
नहर पार 2500 एकड़ जमीन पर 11 प्राइवेट बिल्डर कंपनियां हाउसिंग प्रोजेक्ट डिवेलप कर रही है। इन प्रोजेक्ट में इनवेस्ट करने वालों का कहना है कि बुकिंग के समय बिल्डरों ने जून 2009 तक कब्जा देने की बात कही थी। लेकिन अभी तक किसी भी बिल्डर कंपनी ने फ्लैटधारकों को पजेशन नहीं दी है। फ्लैट पर कब्जा में हो रही देरी की वजह से लोगों ने ग्रेटर फरीदाबाद वेलफेयर असोसिएशन के नाम से एक संगठन बनाया और प्रशासन, बिल्डरों व सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।
उम्मीद हो रही धूमिल
ग्रेटर फरीदाबाद वेलफेयर असोसिएशन के सदस्य विनित मेहरा ने बताया कि प्रदर्शन के बाद डीसी प्रवीण कुमार ने बिल्डरों और फ्लैटधारकों के बीच मीटिंग कराने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान निकालने का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी मीटिंग नहीं कराई गई है। मेहरा ने बताया कि डीसी ने केवल यह कहकर मामले को टाल दिया कि भविष्य में इस तरह की दिक्कतें न हो इसके लिए बिल्डरों के लिए कुछ पॉलिसी बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए स्थानीय सांसद से लेकर सीएम तक से गुहार लगाई है, लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं आ रहा है। इस मसले पर बिल्डरों का कहना है कि फ्लैट्स तो तैयार हैं, लेकिन जमीन पर कब्जा न मिलने के कारण हूडा वहां सीवर, सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहा है जिससे आगे का काम रुका पड़ा है।
' सरकार कुछ नहीं कर सकती '
इस मसले पर डीसी प्रवीण कुमार ने कहा कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है। नहर पार का काफी इलाका प्राइवेट बिल्डरों को दिया हुआ है। इन बिल्डरों को नियमों पर खरा उतरने के बाद ही लाइसेंस जारी किए गए हैं। फ्लैट के पजेशन को लेकर सरकार का कोई रोल नहीं है। इस मामले में बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हमारे पास कोई पॉलिसी नहीं है। हालांकि मैंने इस मुद्दे को सरकार के पास फॉरवर्ड कर दिया है। अब वहां से ही कुछ हो सकता है। नहर पार डिवेलपमेंट की रफ्तार धीमी होने के बारे में डीसी ने कहा कि किसानों से खरीदी गई जमीन खरीदी का पैसा तो दे दिया गया है , लेकिन उनकी फसलें खेतों में खड़ी हैं। उम्मीद है कि फसल कटने के बाद वहां कब्जा मिल जाएगा और डिवेलपमेंट शुरू हो जाएगी।
निराश हो रहे फ्लैटधारक
विनित मेहरा ने बताया कि हमने ग्रेटर फरीदाबाद में पैसा खर्च कर भारी गलती की है। अगर एनसीआर में किसी और जगह हम इनवेस्ट करते तो आज लोग अपने घर में रह रहे होते। उन्होंने कहा कि लोगों ने संबंधित बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना शुरू कर दिया है। कुछ लोगों ने कंस्यूमर कोर्ट में केस डाले हंै। लगभग 20 लोगों ने इकनॉमिक ऑफेंस विंग में भी केस डाल दिया है। बिल्डरोें के खिलाफ हमने हाई कोर्ट में भी जाने की तैयारी कर ली है। इसके लिए वकीलों से बातचीत की जा रही है।
घर के लिए करोड़ांे रुपये का इनवेस्ट
ग्रेटर फरीदाबाद असोसिएशन के प्रधान जयंत ने बताया कि नहर पार घर के लिए पूरे एनसीआर के लगभग 15 हजार लोगों ने पैसा इनवेस्ट किया हुआ है। लेकिन अभी तक किसी को भी अपना घर नहीं मिल सका है। इसलिए हमने बिल्डरों के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की है। इसके लिए http://www.myfaridabad.in के नाम से एक वेबसाइट बनाई गई है। जिन लोगों का बिल्डरों के पास पैसा फंसा हुआ है , वह इस वेबसाइट के जरिए हमसे जुड़ सकते हैं। अभी तक एक हजार से भी अधिक लोग हमारे साथ जुड़ चुके ह ैं।
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