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Wrong Stamp Duty, homebuyers being cheated

Postby PEFL » Sun Apr 27, 2014 12:58 am

Another eyeopening news--

http://indiakesari.com/?p=4359

ग्रेटर फरीदाबाद में जमकर लुट रहे हैं निवेशक निवेशकों को लगभग 30 करोड़ का चूना

इंडिया केसरी/ब्यूरो
फरीदाबाद। नहरपार बने इंडीपेंडेंट फ्लोर की रजिस्ट्रियां बिना ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट के ही की जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार बिल्डरों व तहसील कार्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों रुपए का गोलमाल हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस मामले की शिकायत किए जाने के बावजूद भी अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि फरीदाबाद से लेकर चंडीगढ़ तक के अधिकारी इस गोलमाल में लिप्त हैं। जिसका खामियाजा इन्डीपेंडेंट फ्लोर में निवेश करने वाले अनेक लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
क्या है मामला
नहरपार क्षेत्र में सैक्टर-75 से 89 तक 7000 इंडीपेंडेंट फ्लोर व विला बन रहे हैं। जिनमें से अधिकतर फ्लोर्स व विला बीपीटीपी कंपनी के हैं। इनमें से 1000 से भी अधिक फ्लोर्स पजेशन के लिए तैयार हैं। जिनमें से लगभग 900 फ्लोर्स की रजिस्ट्रियां की जा चुकी हैं। हैरानी की बात यह है कि तहसील कार्यालय ने बिल्डर के बिना ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट के ही रजिस्ट्रियां कर डाली हैं। इन रजिस्ट्रियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी है। उदाहरणत: 209 स्क्वैयर मीटर प्लॉट पर मैक्सिमम एफएआर 145 प्रतिशत है। जिसके अनुसार लगभग 303 स्क्वैयर मीटर कवर्ड एरिया बनता है। इसे यदि वर्ग फुटों में कंवर्ट किया जाए तो लगभग 1100 वर्ग गज प्रति फ्लोर बनता है। ऐसे में रजिस्ट्री 1100 वर्ग गज की होनी चाहिए परंतु रजिस्ट्रियां लगभग 1347 वर्ग गज की हो रही हैं। जिसके अनुसार लगभग 250 वर्ग गज की स्टाम्प ड्यूटी अतिरिक्त वसूल की जा रही है।
फुस्स हुई जांच कमेटी
इस मामले को लेकर अक्तूबर-2013 को इंडीपेंडेंट फ्लोर निवेशकों का एक प्रतिनिधिमंडल तत्कालीन जिला उपायुक्त से मिला था और जिला उपायुक्त ने एसडीएम के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने जिला उपायुक्त को रिपोर्ट सौंपते हुए निवेशकों की जांच को जायज करार दिया और जिला उपायुक्त ने रजिस्ट्री विभाग को लैटर जारी कर इन पर रोक लगाने के आदेश दे दिए परंतु इसके बावजूद रजिस्ट्रियां बदस्तूर जारी रहीं। इसके बाद जिला उपायुक्त का तबादला होगा और वर्तमान जिला उपायुक्त विजय दहिया के साथ 3 मार्च 2014 को निवेशकों ने मीटिंग की और जिला उपायुक्त ने पुन: जांच की बात कहकर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
बिल्डर को क्या है फायदा
बिना ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट लिए रजिस्ट्रियां करवाने के पीछे बीपीटीपी का मोटा फायदा है। दरअसल,
बीपीटीपी ने जो फ्लैट बेचे हैं, सूत्रों के अनुसार उसका एरिया लगभग 1347 वर्ग गज दिखाया हुआ है। पोजेशन सर्टिफिकेट में यह एरिया 1100 वर्गगज के आसपास होगा क्योंकि इससे अधिक एफएआर मिल ही नहीं सकता। ऐसे में यदि ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट के बाद बिल्डर रजिस्ट्री करवाएगा तो निवेशक उससे या तो 250 गज के पैसे वापिस मांगेंगे या फिर बिल्डर से 250 वर्ग गज एरिया मांगेंगे। निवेशकों का आरोप है कि बीपीटीपी ने इस समस्या से बचने के लिए अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट के बिना ही लगभग 900 रजिस्ट्रियां करवा डालीं और लगभग 30 करोड़ का उक्त निवेशकों को चूना लगा दिया।
बेखौफ हैं अधिकारी
हरियाणा के प्रधान सचिव व एफसी, टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा 27 मार्च 2009 के पत्र क्रमांक 2733-34 द्वारा सभी जिला उपायुक्तों, रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार व तहसीलदारों को आदेश जारी किए गए थे कि एफएआर किसी भी सूरत में बढ़ाया नहीं जा सकता और बिना ऑक्युपेशन सर्टिफिकेट के रजिस्ट्री नहीं की जा सकती और एप्रूव्ड बिल्डिंग प्लान भी आवश्यक है। इसके अलावा और भी कई आदेश इस पत्र के माध्यम से जारी किए गए थे। आश्चर्यजनक बात है कि इन आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए जिला उपायुक्त व तहसील कार्यालय बेधडक़ रजिस्ट्रियां कर रहे हैं जबकि बिल्डरों के पास न तो ओक्युपेशन सर्टिफिकेट है और न ही एप्रूव्ड बिल्डिंग प्लान।
कांग्रेस की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
इस सारे मामले में हैरानी की बात यह है कि आखिर इस लूट का शिकार लोगों की समस्याओं का समाधान आखिर निकालेगा कौन? चंडीगढ़ में बैठे अधिकारियों के आदेशों को दरकिनार कर काम करने वाले जिला व तहसील स्तरीय अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? आखिर किसकी शह पर जिला व तहसील कार्यालय के अधिकारी इन अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे हैं? हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में इस प्रकार के मामले आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं।
अधिकारियों का पक्ष
इस संदर्भ में तिगांव नायब के तहसीलदार वीरेंद्र सिंह का कहना है कि वे इसलिए रजिस्ट्रियां कर रहे हैं क्योंकि बिल्डर ने ओक्युपेशन सर्टिफिकेट के लिए एप्लाई कर दिया है। यह पूछे जाने पर कि चंडीगढ़ के आदेशों को दरकिनार क्यों किया जा रहा है तो वे कोई जबाब नहीं दे पाए। वे केवल यही कहते रहे कि इस बारे में उन्हें अधिक जानकारी नहीं है और तिगांव अभी तहसील बनी है इसलिए उनके पास अधिक जानकारी नहीं है।
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