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फरीदाबाद. नहरपार मास्टर रोड के लिए कब्जा लेने अब हुडा अधिकारी पुलिस फोर्स के साथ जाएंगे। अधिकारियों के अनुसार बुधवार को दस्ता नहरपार पहुंचेगा। सोमवार को बगैर पुलिस फोर्स के कब्जा लेने गए हुडा अधिकारियों को मुंह की खानी पड़ी और किसानों ने उनको हड़का कर भगा दिया।
इसलिए अब हुडा अधिकारी यहां जोखिम नहीं उठाना चाहते। हुडा अधिकारियों ने पुलिस अधिकारियों से बात की है। हुडा प्रशासक शहर में न होने के कारण अधिकारी मंगलवार को नहरपार नहीं गए। बुधवार को प्रशासक के आने के बाद मीटिंग की जाएगी और इसके बाद पूरी तैयारी के साथ अधिकारी नहरपार जाएंगे। उधर किसानों ने भी अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि यहां पुलिस आई तो वे भी लट्ठ लेकर तैयार हैं और किसी भी हालत में कब्जा नहीं देंगे।
बिगड़ सकते हैं हालात
वशिष्ठ का कहना है कि नहरपार कब्जा लेने आने के लिए हुडा अधिकारियों को सोचना चाहिए। जब तक सेक्टर-75 व 80 के लिए अधिग्रहण की गई जमीन का मुद्दा नहीं सुलझ जाता वे कब्जा नहीं लेने देंगे। यदि अधिकारी यहां पुलिस लेकर आए तो वे भी हजारों की संख्या में एकजुट हो जाएंगे और विरोध करेंगे। अगर यहां हालात बिगड़े तो जिम्मेदारी हुडा अधिकारियों की होगी। एसडीओ सर्वे अजीत सिंह का कहना है कि वो हर हाल में नहरपार कब्जा लेकर रहेंगे। इसके लिए पुलिस बल का सहयोग लिया जाएगा।
डीसी से मिले पदाधिकारी
नहरपार मकान एवं भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष वीरपाल गुर्जर काफी लोगों के साथ डीसी डॉ. प्रवीण कुमार के निवास स्थान पर डीसी से मिले। उन्होंने डीसी से नहरपार के मुद्दे पर काफी देर तक बात की और वहां के हालात बताए। गुर्जर ने डीसी से कहा कि जो मकान मास्टर रोड के बीच में आ रहे हैं उनको छोड़ा जाना चाहिए।
खाली जमीन का रेट मार्केट के हिसाब से दिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो वे धरना शुरू कर देंगे और यह बड़ा आंदोलन का रूप धारण कर लेगा। इस मौके पर उनके साथ अदल चंदीला, जीवनलाल, रामकिशन, भूले, जयप्रकाश, किशन मेम्बर, राजबीर सरपंच, सेलक राम, जयनारायण, फिरे, श्यामसिंह, चंदर, प्रवीन, सुभाष सहित अन्य लोग थे।
60 एकड़ पर है लड़ाई
संघर्ष समिति के कार्यकारी अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ का कहना है कि नहरपार हुडा द्वारा दो साल पहले सेक्टर-75 व 80 के लिए लगभग चार सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इन दोनों सेक्टर्स के लिए बड़ोली, प्रह्लादपुर माजरा, फज्जपुर, मिर्जापुर व सीही गांव की जमीन का अधिग्रहण किया गया था।
इसमें से लगभग 350 एकड़ जमीन का बिल्डर्स ने अधिग्रहण कर लिया और बाकी बची हुई जमीन का हुडा ने 16 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अधिग्रहण किया था। इसलिए यहां केवल 60 एकड़ जमीन का ही मुआवजा बढ़ाकर देना है। इसी को लेकर दो साल से किसान संघर्ष कर रहे हैं और ये ही किसान मास्टर रोड के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा बने हुए हैं। यहां के किसान 42 लाख रुपए प्रति एकड़ मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
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