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फरीदाबाद. नहरपार निवेशकों के लिए ईडीसी (बाह्य विकास शुल्क) गले की फांस बन चुका है। एक ओर नहरपार पंद्रह सेक्टरों का विकास करने वाले बिल्डरों ने सरकार के कई करोड़ रुपए बकाया रखे हुए हैं, दूसरी ओर निवेशकों से तय ईडीसी से अधिक वसूले जा रहे हैं। इसका खुलासा आरटीआई के तहत हुआ है।
नहरपार ग्रेटर फरीदाबाद वेलफेयर एसोसिएशन ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट में आरटीआई दायर की थी। इसके जवाब में एसोसिएशन को बताया गया कि ईडीसी के रूप में बिल्डरों को सरकारी खजाने में 1600 करोड़ रुपए जमा कराने थे। लेकिन, बिल्डरों ने महज 846 करोड़ रुपए ही जमा कराए हैं। इतना ही नहीं जवाब से साफ है कि सरकार की ओर से तय ईडीसी से ज्यादा निवेशक से बिल्डर वसूल रहे हैं।
गौरतलब है कि बिल्डरों की मनमानी से परेशान निवेशकों ने कई बार जिला स्तर से लेकर सरकार व सीनियर आईएएस अधिकारियों तक गुहार लगाई है। मामला गंभीर होता देख हाल ही में टाउन कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर टीसी गुप्ता ने जांच के लिए एक ऑडिट टीम का गठन किया।
इसके बाद चंडीगढ़ से आई टीम ने नहरपार लाइसेंसशुदा बिल्डर्स के दफ्तर में औचक छापेमारी की। छापेमारी की कार्रवाई कर टीम 28 जनवरी को यहां से वापस गई है। इस दौरान टीम ने ईडीसी से संबंधित रिकॉर्ड को जब्त किया और निवेशकों की शिकायतें भी ली। रिकॉर्ड की जांच के लिए टीम ने एक सप्ताह का समय मांगा गया है।
2005 से नहरपार ग्रेटर फरीदाबाद को विकसित किया जा रहा है। नहरपार सेक्टर-75 से लेकर 89 तक सेक्टर काटे जा रहे हैं। फिलहाल डेढ़ दर्जन से अधिक बिल्डर सक्रिय हैं। लगभग 7500 एकड़ जमीन पर डेवलपमेंट कार्य के दायरे में है। इसमें 2500 एकड़ जमीन निजी बिल्डरों के अधीन है। हुडा को यहां 75 से लेकर 89 तक 15 सेक्टर विकसित करने हैं।
इसके अलावा इन सभी सेक्टरवासियों की सहुलियत के लिए हुडा ने 1072 एकड़ जमीन पर मास्टर रोड बनाए जाने की योजना तैयार कर चुकी है। वहीं, बिल्डर ईडीसी वसूलने के बावजूद विकास के कार्यो को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे। निवेशकों की मानें तो तय ईडीसी से अधिक की वसूली के उन्हें धमकाया जा रहा है। कुछ बिल्डर्स बिजली सब स्टेशन और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने नाम पर भी निवेशकों से वसूली कर रहे हैं।
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